जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे।
धरती पर आकर के भक्तों के कष्ट हरे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
जो कोई भक्ति करे प्रेम से , निसादिन करे प्रेम से।
भागे दुःख परे विघ्न हरे, मंगल के दाता तन कष्ट हरे।
जेवर राव के पुत्र कहाए, रानी बाछल माता।
बागड़ में जन्म लिया वीर ने, सब जय जयकार करे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
धर्म कि बेल बढाई निशदिन, तपस्या रोज करे।
दुष्ट जनों को दण्ड दिया, जग में रहे आप खरे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
सत्य अहिंसा का व्रत धारा, झुठ से सदा डरे।
वचन भंग को बुरा समझ कर, घर से आप निकरे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
माडी में करी तपस्या अचरज सभी करे।
चारों दिशाओं से भगत आ रहे, जोड़े हाथ खड़े॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
भवन पधारो अटल क्षत्र कह भगतों की सेवा करे।
प्रेम से सेवा करे जो कोई, धन के भंडार भरे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥
तन मन धन अर्पण करके भक्ति प्राप्त करे।
भाद्रों कृष्ण नौमी के दिन पूजन भक्ति करे॥
जय जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगा वीर हरे॥