।। श्री साईं नाथ की आरती - 1 ।।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ॐ जय साईं हरे॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।
दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे ॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।
काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे ॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे ॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।
भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे ॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥
।। श्री साईं नाथ की आरती - 2 ।।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।
चरणों के तेरे हम पुजारी बाबा।।
विद्या बल बुद्धि, बंधु माता पिता हो।
तन मन धन प्राण, तुम्ही सखा हो।।
हे जगदाता अवतारे, सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।
ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी।
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी।।
सुन तो विनती हमारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।
आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति।
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति।।
शिरडी के संत चमत्कारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।
भक्तों की खातिर जनम लिए तुम।
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिए तुम।।
दुखिया जनों के हितकारी सांई बाबा।
आरती उतारे हम तुम्हारी सांई बाबा।।
।। श्री साईं नाथ की आरती - 3 ।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया।
कितने भक्त शरण में आए वे सुख़ शांति निरंतर पाए।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
भाव धरे जो मन मैं जैसा साई का अनुभव हो वैसा।
गुरु को उदी लगावे तन को समाधान लाभत उस तन को।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
साईं नाम सदा जो गावे सो फल जग में साश्वत पावे।
गुरुवार सदा करे पूजा सेवा उस पर कृपा करत गुरु देवा।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
राम कृष्ण हनुमान रूप में दे दर्शन जानत जो मन में।
विविध धरम के सेवक आते दर्शनकर इचित फल पाते।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
जय बोलो साई बाबा की ,जय बोलो अवधूत गुरु की।
साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख़ मंगल पावे।।
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की।
अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धिराज योगी राज ,जय जय जय साई बाबा की।।