चलो बुलावा आया है


॥ दोहा ॥

माता जिनको याद करे, वो लोग निराले होते हैं।

माता जिनका नाम पुकारे, वो किस्मत वाले होते हैं॥


॥ चौपाई ॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।

ऊँचे पर्वत पर माँ ने अपना दरबार लगाया है॥


चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है । जय माता दी।


सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का।

रस्ता देख रही हैं माता, अपने आँख के तारों का।


मस्त हवाओं का एक झोखा यह संदेसा लाया है॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है । जय माता दी।


जय माता की कहते जाओ, आने जाने वालो को।

चलते जाओ तुम मत देखो अपने पैर के छालों को।


जिस ने जितना दर्द सहा है, उतना चैन भी पाया है॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है । जय माता दी।


वैष्णो देवी के मन्दिर मे , लोग मुरादे पाते है।

रोते रोते आते है, हंसते हंसते जाते है।


मैं भी मांग के देखूं मईया, जिस ने जो माँगा, वो पाया है॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है । जय माता दी।


मैं भी एक माँ हूँ माता, माँ ही माँ को पहचाने।

बेटे का दुःख क्या होता है, और कोई क्या जाने।


उस का खून मैं देखूं कैसे, जिस को दूध पिलाया है॥

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है । जय माता दी।


प्रेम से बोलो, जय माता दी । सारे बोलो, जय माता दी॥

वैष्णो रानी, जय माता दी । अम्बे कल्याणी, जय माता दी॥

माँ भोली भाली, जय माता दी । माँ शेरों वाली, जय माता दी॥

झोली भर देती, जय माता दी । संकट हर लेती, जय माता दी॥

जय माता दी, जय माता दी । जय माता दी, जय माता दी॥

जय माता दी, जय माता दी । जय माता दी, जय माता दी॥


॥ बोल साँचे दरबार की जय ॥