हे गोविंद हे गोपाल


हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे ॥


हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे ॥


चार प्रहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे ।

नाक कान डूबण लागे कृष्ण को पुकारे ॥


हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे ॥


द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो भारी ।

शंख चक्र गदा पदम गरुङ ले सिद्धाये ॥


हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे ॥


सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे ।

अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे ॥


हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे ॥


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥