मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, होइहै वही जो राम रचि राखा, को करे तर्क बढ़ावै साखा
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी, आपद काल परखिये चारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, जाकी रही भावना जैसी, रघु मूरति देखी तिन तैसी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता, कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम